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सोमवार, 21 सितंबर 2020
सोमवार, 14 सितंबर 2020
"हिन्दी दिवस"
॥ओ३म्॥
॥ओ३म्॥
"हिन्दी दिवस" की हार्दिक शुभकामनाएं"
भारत के जनमानस की,
सहज, सरल अभिव्यक्ति है हिन्दी,
भारत की शक्ति है हिन्दी,
संस्कृति व परम्परा का,
संवाहक है हिन्दी,
सभ्यता व समृद्धि का,
आधार है हिन्दी,
भारत का स्वाभिमान है हिन्दी,
हिन्दी बिना नरक है जीवन।
"हिन्दी की करुण व्यथा"
हिन्दी दिवस मनाने की परंपरा,
1953 में
प्रारंभ हुई,
हिन्दी जन-जन की थी रानी,
रह गयी अब एक दिन की,
इसकी कहानी,
उर्दू और अंग्रेजी को,
होना चाहिए था नौकरानी
पर वह बनी महारानी,
कहते हम हैं हिन्दूस्तानी,
एक दिन जो हिन्दी के लिए चुना,
वो दिन भी मुझसे छीन लिया,
उस दिन भी,
हिन्दी दिवस के नाम पर,
हिन्दी को उर्दू और अंग्रेजी में,
देते हैं उसको बधाई,
देखो कैसा दिवस है भाई।
यह कैसी आजादी की,
झलक दिखाई,
365 में 364 दिन छिन कर,
एक दिन मुझे दिया,
वो भी मुझसे छीन लिया,
कहते हो हमने आज,
हिन्दी दिवस मनाया,
हिन्दी दिवस की,
हार्दिक शुभकामनाएं।
🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
समाज सुधारक, दलितों उद्धारक, नारी शिक्षा के प्रथम समर्थक, नारी शिक्षालय(विद्यालय) के आरम्भ करने वाले अमर हुतात्मा महर्षि दयानन्द जी ने उत्तम सन्तान निर्माण के लिए "देवनागरी लिपि" में अक्षर ज्ञानादि से शिक्षित करने का निर्देश अपने अमर ग्रंथ "सत्यार्थ प्रकाश' के द्वितीय समुल्लास शिक्षा प्रकरण में विस्तार से लिखा है।
संवैधानिक मान्यता-
लेकिन लोग हिन्दी दिवस को भी Happy hindi divas कहकर मनाते हैं। और सरकारी हो या निजी समस्त कार्य अंग्रेजी में किया जाता है, किया जा रहा है। यह हिन्दी का अपमान है या सम्मान। हिन्दी भाषी व क्षेत्रीय भाषी को अपने किसी भी कार्य विवरणिका (कागजात, या जानकारी) को पढ़ने व समझने में कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। आज भी भारत गुलामी के नियमों पर ही चल रहा है। उसी के चंगुल में फंसा हुआ है। क्या इसे आजादी कहें, कहते है।
पुरस्कार-
हिन्दी दिवस पर पुरस्कार वितरण कार्य का आरम्भ 1986 में किया गया। इस अवसर पर दो पुरस्कार दिये जाते थे जिसका नाम था "इन्दिरा गांधी राजभाषा पुरस्कार" और "राजीव गांधी राष्ट्रीय ज्ञान-विज्ञान मौलिक लेखन पुरस्कार"- इसके अन्तर्गत विज्ञान आधारित विषयों पर हिंदी में किसी व्यक्ति की ओर से लिखी गई पुस्तकों को 10,000 रुपये से दो लाख रुपये तक के पुरस्कार दिए जाते थे|
परिवर्तन-
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह निर्णय मंत्रालयों और जनता के बीच मौजूदा पुरस्कार योजनाओं को लेकर भ्रम को समाप्त करने के लिए लिया गया है। अभी तक इंदिरा गांधी राजभाषा पुरस्कार के अनुसार हिंदी का सबसे प्रगतिशील उपयोग करने वाले मंत्रालयों या सरकारी कंपनियों या बैंकों को पुरस्कार के तौर पर शील्ड दी जाती थी। जबकि हिंदी में सर्वश्रेष्ठ मौलिक पुस्तकें लिखने वाले केंद्र सरकार के कर्मचारियों को 40,000 रुपये से एक लाख रुपये तक के नकद पुरस्कार मिलते थे।
"राजीव गांधी राष्ट्रीय ज्ञान-विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन पुरस्कार" योजना में विज्ञान आधारित विषयों पर हिंदी में किसी व्यक्ति की ओर से लिखी गई पुस्तकों को 10,000 रुपये से दो लाख रुपये तक के पुरस्कार दिए जाते थे।
नए आदेश के अनुसार "राजभाषा कीर्ति पुरस्कार" योजना के अन्तर्गत मंत्रालयों, पीएसयू, ऑटोनोमस बोर्ड्स और सरकारी बैंकों को 39 शील्ड्स दी जाएंगी नई राजभाषा गौरव पुरस्कार योजना के तहत ज्ञान और विज्ञान विषयों पर क्वॉलिटी वाली पुस्तकें लिखने वाले नागरिकों को 10,000 रुपये से दो लाख रुपये के 13 पुरस्कार दिए जायेंगे।लेकिन हिंदी में मौलिक पुस्तकें लिखने वाले केंद्र सरकार के कर्मचारियों को 30,000रुपये से एक लाख रुपये के चार नकद पुरस्कार दिए जाएंगे।
"करें प्रयोग रहें निरोग"
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