रविवार, 31 मार्च 2019

आयुर्वेद का परिचय (Introduction of Ayurveda)


आयुर्वेद का परिचय (Introduction of Ayurveda)-

भारत के प्राचीन चिकित्सा वैज्ञानिक आचार्य सुश्रुत ने स्वास्थ्य संरक्षण हेतुसुश्रुत संहितानामक ग्रंथ की रचाना दो तंत्रों में की। पूर्व तंत्र में पांच स्थान तथा एक सौ बीस अध्याय है जबकि उत्तर तंत्र में छियासठ अध्याय हैं। प्रत्येक स्थान में अध्यायों की संख्या इस प्रकार है-
      सूत्रस्थान 46, निदानस्थान 13, शारीरस्थान 10, चिकित्सास्थान 40, कल्पस्थान 8 तथा उत्तरतन्त्र में 66 अध्याय हैं।

बुधवार, 20 मार्च 2019

छाता की कहानी

छाता की कहानी-


एक व्यक्ति छाता बनाने तथा छाता मरम्मत करने का काम बड़े ही आनन्द, ईमानदारी लगन के साथ करता था। साथ ही साथ ईश्वर के नाम का जाप करता रहता था तथा अपने ग्राहकों को भी आध्यात्मिक बातें बताया करता था। ग्राहक उससे बहुत ही प्रसन्न रहते थे और उसे पसंद करते थे। उसे अपने कार्य से जीवन जीने के लिए पर्याप्त धन प्राप्त हो जाते थे।

सोमवार, 18 मार्च 2019

श्वेतप्रदर (Leucoreehoea) का परिचय (लक्षण) –

चरक-सूश्रुत संहिता में वर्णित कफज योनि के लक्षणों के समान हैं। कफज योनि को श्लेषमज योनि भी कहा जाता है।(.चि. 30. 12-13, सूश्रुत. चि. 38.17)

 श्वेतप्रदर(Leucoreehoea)- का मतलब योनि मार्ग से श्वेत चिपचिपा पदार्थं का स्राव होना। यह महिलाओं में होने वाला कष्टसाध्य रोग है। स्वाभाविक और अस्वाभाविक दो प्रकार की होती है।

 

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