मंगलवार, 27 मार्च 2018

उपवास का जीवन में महत्व-

                                 उपवास का जीवन में महत्व-        

उपवास का अर्थ के लिए इमेज परिणामउपवास का सामान्य अर्थ होता है अन्न का त्याग करना। उपवास की परम्परा आदि काल से चली आ रही है। उपवास को ऋषियों नें व्रत-त्योहारों से जोड़ा और व्रत-त्योहारों को ऋतुओं से। हमारे शरीर में, आहार-विहार के असावधानी से कुछ अनावश्यक पदार्थं जमा होते हैं जो ऋतु परिवर्तन के समय बाह्य अभिव्यक्ति यानि लक्षण दिखते हैं। जिसे हम रोग या बिमारी कहते हैं। जैसे- सर्दी-खांसी, ज्वर, सिरदर्द, पीलिया आदि अनेक रोग होते हैं जो असावधानी तथा अज्ञानता के कारण गम्भीर  रूप धारण कर लेते हैं। 


उर्जा(शक्ति)- स्वस्थ अवस्था में हमारे शरीर की जो उर्जा भोजन को पचाने में खर्च होती है वहीं उर्जा उपवास काल में शरीर के शोधन में खर्च होती है।

प्रथम चिकित्सक- उपवास बिना समय व पैसों का चिकित्सक है। उपवास में नहीं हमारा समय खर्च होता है नहीं पैसा। उपवास शरीर शुद्धि का प्राकृतिक उपाय है।

चिकित्सा शास्त्रों में चिकित्सा के उपायों में उपवास को प्रथम उपाय बताया है। जब हमारा शरीर विकार ग्रस्त होता है तो सबसे पहले हमारी भूख खत्म हो जाती है। अग्नि मन्द हो जाती है। भोजन के प्रति अरुचि पैदा हो जाती है पर हम अज्ञानी प्रकृति के संदेश को नजरअंदाज करते हुए भोजन व दवाओं के पीछे भागते हैं तथा रोग दूर करने के बदले, अनेक रोगों को अपने शरीर में आने के लिए निमंत्रण देते रहते हैं।

हमारे शरीर में दो क्रिया निरन्तर होती रहती है- धारण(ग्रहण) और विसर्जन(छोड़ना, निस्कासन)।धारण करने वाले पदार्थं आहार आदि के सेवन करने के बाद आहार का विघटन  होकर अनेक रासायनिक क्रियाओं के दो भागों में विभक्त होता है जिसे प्रसाद और मल  कहा जाता है। प्रसाद भाग ही हमारे शरीर के लिए उपयोगी होता है। इसी से हमारे शरीर को ऊर्जा प्राप्त होती है। तथा दूसरा मल भाग बनता है जो शरीर के अनेक भागों से  मल, मूत्र, पसीना आदि के रुप में बाहर निकलता है। जब मलों के निकलने में बाधा होती है तब शरीर धीरे विकृत होते-होते  शरीर में  विकृति के लक्षण स्पष्ट होते हैं फिर भी हम सावधान होने के बजाय दवाओं और भोजन के प्रति अधिक तीव्रता के साथ भागते हैं। पर समाधान नहीं मिलने से जीवन कष्टमय व निरस बन जाता है। स्वस्थ व सुखी जीवन के लिए उपवास अवश्य करें।

 उपवास से लाभ-
  •  उपवास से हमारे शरीर मे इकट्ठा हुए विजातीय पदार्थं(अनावश्यक पदार्थं) निकल जाते हैं।
  • उपवास से हमारे शरीर को किसी प्रकार की क्षति(हानि) नहीं होती है।
  • उपवास से हमारा तन व मन प्रसन्न होता है। शरीर में ताजगी व स्फूर्ति का आती है।
  • रक्त संचार की क्रिया में सुधार होता है जो शरीर को स्वस्थ रखने का मुख्य आधार है।
  • उपवास से शरीर शुद्धि के साथ मन की भी शुद्धि होती है। तथा रोगों से मुक्ति।
  • मन शान्त व एकाग्र होता है। मन के शान्त व एकाग्र होने से काम, क्रोध, लोभ, मोह, ईष्या-द्वेष, घृणा, शोक आदि मानसिक विकार दूर हो जाते हैं।
 सावधानी- 
  • स्वास्थ्य के इच्छुक व्यक्ति को 10-15 दिन में 1 बार उपवास अवश्य कर लेना चाहिए। रोगी व्यक्ति चिकित्सीय सलाह के बिना न करें।
  • सामान्य व्यक्ति उपवास काल में नींबू-पानी या सामान्य पानी के अलावा कुछ अन्य पदार्थं न लें, रोगी चिकित्सक के निर्देशानुसार ही किसी भी पदार्थं का सेवन करें।
  • उपवास का समापन रसाहार या फलाहार से करना चाहिए। कोई ठोस आहार, ठण्डे व गर्म पदार्थ, तली-भुनी चीजों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। 


शनिवार, 10 मार्च 2018

अडूसा

                                      अडूसा

अडूसा के औषधीय गुण के लिए इमेज परिणाम

औषध परिचय- इसके पौधे छोटे तथा झाडीदार होते हैं। इसे संस्कृत में वासा, वासक, अडूसा, आटरूषक, वृष, वाजिदन्त, वासिका आदि कहा जाता है। इस पर पुष्प का शरद ऋतु में आते हैं तथा गु्च्छों के रुप में लगते हैं। यह भारत के लगभग सभी स्थानों में पाये जाते हैं। निधण्टु में इसका स्थान गुडूच्यादि वर्ग के अन्दर है।

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