🔥 दीपोत्सव की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं🔥
💥बलिदान दिवस-💥
दीपावली को आर्य जगत् बलिदान दिवस के रूप मेें मनाता हैं क्योंकि आज ही के दिन आर्यों के पथ प्रदर्शक पुण्यआत्मा के जीवन का अन्त हुआ था। उस महान आत्मा को लोग महर्षि दयानन्द के नाम से जानते हैं। इस महान आत्मा ने समाज में फैले अनेक कुरीतियों को दूर किया। ऐसा कोई वर्ग नहीं जिस पर कार्य न किया हो। मानव जीवन के विकास के हर पहलु पर कार्य करके समाज का ध्यानाकृष्ट कराया। आज दुनियां में वो महान आत्मा "वेदों वाला ऋषि" देव दयानन्द के नाम से जाना जाता है।
मर और अमर में भेद-
मर और अमर में यही भेद है कि महान आत्मा अपने कर्मों से समाज को सुख के सुमार्ग दिखाकर जाते हैं जिससे समाज उनके कल्याणकारी मार्ग का गुणगान करता हुआ जीवन जीने का प्रयास करता और जन-मानस के बीच सदा बना रहता है। जो सदा सबके बीच है वहीं है इसे ही अमर होना कहा जाता है और सामान्य आत्मा सामान्य जीवन व्यतीत करके दुनियां से चला जाता है कोई नाम लेने वाला नहीं होता उसका नाम मिट जाता है अर्थात् मर जाता है। परोपकारी व्यक्ति, संत-महात्माओं का सदा समाज में गूंजता रहता है। महर्षि दयानन्द के जन हितकारी कुछ कार्यों की झलक इस प्रकार है-
जब सूरज चांद रहेगा,
ऋषि दयानन्द का रहेगा,
तू तो था ऋषि निराला,
बाल विवाह बन्द कराया,
माता कहकर नारी का सम्मान बढ़ाया,
नारी को पढ़ने का अधिकार दिलाया,
विधवा विवाह शुरु कराया,
दलितों को गले लगाया,
गौरक्षा का बिगुल बजाया,
स्वदेश का अलख जगाया।
ऐसे महान् आत्मा को शत शत नमन।
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