🚩🚩🚩🐍शिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं🚩🚩🚩🐍
शिवरात्रि पर भोलेनाथ का संदेश-
सच्चिदानन्द का "आभूषण" व "स्वरूप" चित्रण-
ओ३म् मेरा "निज" नाम है,
"भूत" "वर्तमान" "भविष्य तीनों कालों का ज्ञाता हूं,
सर्प 🐍है मेरे गले का हार,
प्रकृति के विष का करता हूं नित्य पान,
प्रकृति को स्वच्छ करता हूं,
"चांद"🌙 है मेरा "मुकुट',
सदा शीतल रहता हूं,
"डमरु" है "संदेशवाहक"
इससे "संदेश" पहुंचाता हूं,
रखता हूं "त्रिशूल",
अवहेलना करने वालों को,
इसी से भयकंर "दण्ड" देता हूं ,
"रुद्राक्ष" पहनता हूं,
इसी से "रुद्र" रूप धारण करता हूं,
"पापियों" को रुलाता हूं,
मैं "तीनों" "लोक" का स्वामी हूं,
"रचता" और "मिटाता" हूं,
मैं जग "पालक" हूं तुम्हारा पालन-पोषण करता हूं,
"भभूति" धारण करता हूं,
करते जो प्रकृति के नियमों का "उलंघन",
उसे खाक में मिलाता हूं,
"स्वतंत्रता" छीन "भोग" योनियों में ले जाता हूं।
तुम मानते मुझे भगवान्,
और करते नित्य मेरा अपमान,
मांगते सुख-शान्ति का वरदान,
चाहते हो गर सुख-शान्ति तो,
अन्तरात्मा में मेरा ध्यान धरो,
जो देता हूं आज्ञा,
उसे शिरोधार्य करो,
मांग-धतूरे खाकर जीवन न बेकार करो,
मेरा न अपमान करो,
दिव्य सृष्टि रची है तुम्हारे लिए,
पर कचरे का करते तुम हो भोग(प्रयोग),
करो अमृत पान,
दुष्ट आचरण का त्याग करो,
सदाचार को आत्मसात करो,
जैसा कर्म करोगें वैसा ही फल पाओगे,
इसमें छूट न पाओगे,
तुम्हारे कर्मों का परिणाम है,
सदाचार है "वैकुण्ठ" का आधार,
दुराचार से चौरासी लाख योनियां है तैयार,
दुराचार परतंत्रता का आधार,
सदाचार स्वतंत्रता का आधार,
जैसा कर्म वैसा ही फल पाने का विधान,
एक झोली में फूल,
दूजे में क्यों कांटा है थोड़ा करो 'विचार",
एक पैदा होता है "फूटपातों" पर,
दूजा महलों में "लोरी" सुनता है,
ऐसा क्यों होता है थोड़ा करो "विचार"
विचार का साधन दिया है "वेद"
दूजा दिया है दिव्य "ज्ञानेन्द्रियाँ",
जो तेरी होगी चाहत वही तुझे मिलेगा,
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