शनिवार, 14 नवंबर 2020

मर और अमर में भेद

🔥 दीपोत्सव की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं🔥



💥बलिदान दिवस-💥
दीपावली को आर्य जगत् बलिदान दिवस के रूप मेें मनाता  हैं क्योंकि आज ही के दिन आर्यों के पथ प्रदर्शक पुण्यआत्मा के जीवन का अन्त हुआ था। उस महान आत्मा को लोग महर्षि दयानन्द के नाम से जानते हैं। इस महान आत्मा ने समाज में फैले अनेक कुरीतियों को दूर किया। ऐसा कोई वर्ग नहीं जिस पर कार्य न किया हो। मानव जीवन के विकास के हर पहलु पर कार्य करके समाज का ध्यानाकृष्ट कराया। आज दुनियां में वो महान आत्मा "वेदों वाला ऋषि" देव दयानन्द के नाम से जाना जाता है।

मर और अमर में भेद-
मर और अमर में यही भेद है कि महान आत्मा अपने कर्मों से समाज को सुख के सुमार्ग दिखाकर जाते हैं जिससे समाज उनके कल्याणकारी मार्ग का गुणगान करता हुआ जीवन जीने का प्रयास करता और जन-मानस के बीच सदा बना रहता है। जो सदा सबके बीच है वहीं है इसे ही अमर होना कहा जाता है और सामान्य आत्मा सामान्य जीवन व्यतीत करके दुनियां से चला जाता है कोई नाम लेने वाला नहीं होता उसका नाम मिट जाता है अर्थात् मर जाता है। परोपकारी व्यक्ति, संत-महात्माओं का सदा समाज में गूंजता रहता है। महर्षि दयानन्द के जन हितकारी कुछ कार्यों की झलक इस प्रकार है-
जब सूरज चांद रहेगा,
ऋषि दयानन्द का रहेगा,
तू तो था ऋषि निराला,
बाल विवाह बन्द कराया,
माता कहकर नारी का सम्मान बढ़ाया,
नारी को पढ़ने का अधिकार दिलाया,
विधवा विवाह शुरु कराया,
दलितों को गले लगाया,
गौरक्षा का बिगुल बजाया,
स्वदेश का अलख जगाया।
ऐसे महान् आत्मा को शत शत नमन।
🌹🙏🏻🌹🙏🏻🌹🙏🏻🌹


गुरुवार, 12 नवंबर 2020

🔥।।ओ३म्।।🔥
स्वास्थ्य ही धन है। 
स्वास्थ्य का अमृत कलश सदा आपके साथ हो।

मंगलवार, 3 नवंबर 2020

करवाचौथ

🔥।।ओ३म्।।🔥
🤝"संकल्प दिवस" व "मर्यादा दिवस" करवाचौथ की हार्दिक शुभकामनाएं👸👸👸👸👸



करवाचौथ का त्योहार आया,
खुशियां हजार लाया,
हर सुहागन ने चांद से,
थोड़ा सा रूप चुराया,
चांद कहता है,
जब रूप चुराया मेरा है तो,
थोड़ी शीतलता भी चुरा लेना,
कभी चांद की शीतलता,
कभी सूर्य की गर्भी बरसा देना,
सूर्य की गर्मी परिपक्वता प्रकृति में लाता है,
चांद की शीतलता रस भर,
उसको उपयोगी बनाता है,
तुम भी बनो उपयोगी,
कण-कण प्रकृति का यही संदेश सुनाता है।

जैसे करवे (घड़े) में रखा पानी शीतल,
शान्त तथा मर्यादित होते हुए,
दूसरों के लिए जीवनदायी होता है,
जैसे प्रतिदिन घटने वाले ऊंचे-नीचे, 
न्यून- अधिक परिवर्त्तनों के में भी,
चन्द्रमा स्वयं शान्त तथा शीतल रहता है,
पृथिवी को निरन्तर शान्ति एवं शीतलता देता रहता है, कभी उद्विग्न नहीं होता।
इसी प्रकार,
प्रत्येक पति- पत्नी का जीवन,
सांसारिक उथल- पुथल को सहते हुए,
सदैव स्वयं सुखी रहते हुए,
दूसरों को सुखी करने वाला हो,
पति-पत्नी में जहां प्यार है,
वहां होता न तकरार है।
सभी सुखों के दाता परमपिता परमेश्वर से यही प्रार्थना है।

क्षत्रिय वीर जवान को नमन है,
इनकी वीर क्षत्राणियों को नमन है,
इनके कारण हम अपने,
आनन्द के पल को साझा करते हैं,
इनके सहयोग को शत शत शत नमन है,
सभी वीर-वीरांगनाओं व बहनों को करवाचौथ की हार्दिक  शुभकामनाएं🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷

सोमवार, 14 सितंबर 2020

"हिन्दी दिवस"

                            ॥ओ३म्॥

        "हिन्दी दिवस" की हार्दिक शुभकामनाएं"

 "हिन्दी भाषा" 

भारत के जनमानस की,

सहज, सरल अभिव्यक्ति है हिन्दी,

भारत की शक्ति है हिन्दी,

संस्कृति व परम्परा का,

संवाहक है हिन्दी,

सभ्यता व समृद्धि का,

आधार है हिन्दी,

भारत का स्वाभिमान है हिन्दी,

हिन्दी बिना नरक है जीवन।

 

"हिन्दी की करुण व्यथा"

हिन्दी दिवस मनाने की परंपरा,

1953 में प्रारंभ हुई,

हिन्दी जन-जन की थी रानी,

रह गयी अब एक दिन की,

इसकी कहानी,

उर्दू और अंग्रेजी को,

होना चाहिए था नौकरानी

पर वह बनी महारानी,

कहते हम हैं हिन्दूस्तानी,

एक दिन जो हिन्दी के लिए चुना,

वो दिन भी मुझसे छीन लिया,

उस दिन भी,

हिन्दी दिवस के नाम पर,

हिन्दी को उर्दू और अंग्रेजी में,

देते हैं उसको बधाई,

देखो कैसा दिवस है भाई।

यह कैसी आजादी की,

झलक दिखाई,

365 में 364 दिन छिन कर,

एक दिन मुझे दिया,

वो भी मुझसे छीन लिया,

कहते हो हमने आज,

हिन्दी दिवस मनाया,

हिन्दी दिवस की,

हार्दिक शुभकामनाएं।

🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷

समाज सुधारक, दलितों उद्धारक, नारी शिक्षा के प्रथम समर्थक, नारी शिक्षालय(विद्यालय) के आरम्भ करने वाले अमर हुतात्मा महर्षि दयानन्द जी ने उत्तम सन्तान निर्माण के लिए "देवनागरी लिपि" में अक्षर ज्ञानादि से शिक्षित करने का निर्देश अपने अमर ग्रंथ "सत्यार्थ प्रकाश' के द्वितीय समुल्लास शिक्षा प्रकरण में विस्तार से लिखा है।

संवैधानिक मान्यता-

 14 सितम्बर 1949 संविधान द्वारा सर्वसम्मति से हिन्दी को, आजाद भारत की मुख्य भाषा के रुप में पहचान दी गई क्योंकि भारत की लगभग 80 प्रतिशत जनता हिन्दी बोलती है तथा इसी से भारतीय परम्परा को समृद्ध बनाया जा सकता है। हिंदी को राजभाषा का स्थान दिया गया। इसका उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 343 (1) में किया गया हैजिसके अनुसार भारत की राजभाषाहिंदीऔर लिपि देवनागरीहै।

लेकिन लोग हिन्दी दिवस को भी Happy hindi divas कहकर मनाते हैं। और सरकारी हो या निजी समस्त कार्य अंग्रेजी में किया जाता है, किया जा रहा है। यह हिन्दी का अपमान है या सम्मान। हिन्दी भाषी व क्षेत्रीय भाषी को अपने किसी भी कार्य विवरणिका (कागजात, या जानकारी) को पढ़ने व समझने में कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। आज भी भारत गुलामी के नियमों पर ही चल रहा है। उसी के चंगुल में फंसा हुआ है। क्या इसे आजादी कहें, कहते है।

पुरस्कार-

हिन्दी दिवस पर पुरस्कार वितरण कार्य का आरम्भ  1986 में किया गया। इस अवसर पर दो पुरस्कार दिये जाते थे जिसका नाम था "इन्दिरा गांधी राजभाषा पुरस्कार" और "राजीव गांधी राष्ट्रीय ज्ञान-विज्ञान मौलिक लेखन पुरस्कार"- इसके अन्तर्गत विज्ञान आधारित विषयों पर हिंदी में किसी व्यक्ति की ओर से लिखी गई पुस्तकों को 10,000 रुपये से दो लाख रुपये तक के पुरस्कार दिए जाते थे|

परिवर्तन-

 भाजपा सरकार ने 25 मार्च 2015 को इसमें परिवर्तन किया तथा "राजीव गांधी राष्ट्रीय ज्ञान-विज्ञान मौलिक लेखन पुरस्कार" का नाम बदलकर "राजभाषा गौरव पुरस्कार" तथा 10,000 रुपये से दो लाख रुपये के 13 पुरस्कार दिये जायेंगे। लेकिन हिंदी में मौलिक पुस्तकें लिखने वाले केंद्र सरकार के कर्मचारियों को 30,000 रुपये से एक लाख रुपये के चार नकद पुरस्कार दिये जायेंगे का नियम बनाया। पुरस्कार राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया जाता है।

 क्या था पहले और अब क्या है-

गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह निर्णय मंत्रालयों और जनता के बीच मौजूदा पुरस्कार योजनाओं को लेकर भ्रम को समाप्त करने के लिए लिया गया है। अभी तक इंदिरा गांधी राजभाषा पुरस्कार के अनुसार हिंदी का सबसे प्रगतिशील उपयोग करने वाले मंत्रालयों या सरकारी कंपनियों या बैंकों को पुरस्कार के तौर पर शील्ड दी जाती थी। जबकि हिंदी में सर्वश्रेष्ठ मौलिक पुस्तकें लिखने वाले केंद्र सरकार के कर्मचारियों को 40,000 रुपये से एक लाख रुपये तक के नकद पुरस्कार मिलते थे।

"राजीव गांधी राष्ट्रीय ज्ञान-विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन पुरस्कार" योजना में विज्ञान आधारित विषयों पर हिंदी में किसी व्यक्ति की ओर से लिखी गई पुस्तकों को 10,000 रुपये से दो लाख रुपये तक के पुरस्कार दिए जाते थे।

नए आदेश के अनुसार "राजभाषा कीर्ति पुरस्कार" योजना के अन्तर्गत मंत्रालयों, पीएसयू, ऑटोनोमस बोर्ड्स और सरकारी बैंकों को 39 शील्ड्स दी जाएंगी नई राजभाषा गौरव पुरस्कार योजना के तहत ज्ञान और विज्ञान विषयों पर क्वॉलिटी वाली पुस्तकें लिखने वाले नागरिकों को 10,000 रुपये से दो लाख रुपये के 13 पुरस्कार दिए जायेंगे।लेकिन हिंदी में मौलिक पुस्तकें लिखने वाले केंद्र सरकार के कर्मचारियों को 30,000रुपये से एक लाख रुपये के चार नकद पुरस्कार दिए जाएंगे।

                     "करें प्रयोग रहें निरोग"

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सोमवार, 3 अगस्त 2020

श्रावणी उपाकर्म (रक्षाबंधन) का जीवन में महत्त्व-

                                      🔥।।ओ३म्।।🔥

  श्रावणी उपाकर्म (रक्षाबंधन) का जीवन में महत्त्व-

श्रावणी उपाकर्म- जिस पूर्णमासी या पूर्णिमा को श्रवण नक्षत्र का संयोग चन्द्रमां के साथ होता है उसे श्रावणी पूर्णिमा कहते हैं।

उपाकर्म- उपाकर्म का अर्थ होता है आरम्भ।



बुधवार, 15 जुलाई 2020

आचार्य सुश्रुत द्वारा बताये गये आयुर्वेद के आठ अंग-

                                                                   

                                                                     🔥।।ओ३म्।।🔥

आचार्य सुश्रुत द्वारा बताये गये आयुर्वेद के आठ अंग-



सुश्रुत संहिता ग्रंथ के प्रथम अध्याय का विषय इस प्रकार है-

 1. शल्यतन्त्र (Surgery)

अर्थात् शरीर में किसी भी प्रकार के बाह्य बस्तुओं का घुस जाने, आन्तरिक व बाह्य अंगों में फोड़ा-फुन्सी, होने पर शरीर से बाहर निकालना, मूढ़गर्भ अर्थात् विकृत गर्भ वा गर्भस्राव जन्य कष्टों के कारणों निवारण कैसे हो आदि का वर्णन है।

2.शालाक्यतन्त्र(Ophthalmology)- 

इसमें अन्तर्गत गले से ऊपर आंख, कान, नाक, मुख आदि के रोग , कारण और निवारण पर विचार किया गया है।

3. काय चिकित्सा (Medicine)- 

अर्थात् शरीर में उत्पन्न रोगों की चिकित्सा कैस किया जाये इस पर वर्णन है।

4. भूतविद्या (Demonology)- 

इसके अन्तर्गत मानसिक रोगों का कारण व निवारण विषय है।

5. कौमारभृत्य (Pediatrics)- 

इसमें शिशु और प्रसूता की देखभाल (Care) कैसे करें का विस्तृत वर्णन है।

6. अगद्तन्त्र (Toxicology)-

यह विष -विज्ञान का अंग है। इसमें जड़ जङ्गम अर्थात् जन्तु और वनस्पतियों के विष का हमारे शरीर पर क्या प्रभाव होता है । हम इनके प्रभाव से कैसे बचें और बचायें आदि पर पूर्ण जानकारी है।

7. रसायन तन्त्र (Geriatrics)- 

इस तन्त्र के अन्दर के शारीरक, मानसिक, आत्मिक बल को युवा सदृश बनाये रखने के उपायों का वर्णन है।

8. वाजीकरण- 

यह सन्तान उत्पत्ति का तन्त्र है। इस तन्त्र के अन्तर्गत सन्तानोत्पत्ति के साधन शुक्र और शुक्राणुओं को स्वस्थ रखने के उपायों का वर्णन है। इसे अष्टांग आयुर्वेद कहा जाता है।

     जानें और अपनायें, तन-मन का रोग भगायें

रविवार, 12 जुलाई 2020

कचरी खायें रोग भगायें-

                               
                              ॥ओ३म्॥


           कचरी खायें रोग भगायें-

      आयुर्वेद की दृष्टि से जानें कचरी के गुण व उपयोग-


शुक्रवार, 26 जून 2020

वर्षा ऋतु का स्वास्थ्य पर प्रभाव (Effect of rainy season on heath)

                      
                    ॥ओ३म्॥
           वर्षा ऋतु का स्वास्थ्य पर प्रभाव
        (Effect of rainy season on heath)

परिचय

वर्ष को दो भागों में विभक्त किया गया हैउतरायण और दक्षिणायन। उतरायण को आदानकाल और दक्षिणायन को विसर्गकाल कहा जाता है। आदानकाल काल में सूर्य अपनी गर्मी से जड़-जङ्गम सभी के बलों को क्षीण कर देता है, बलों का हरण कर लेता है जिससे सभी में व्याकुलता रहती है, आलस्य-प्रमाद बना रहता है। लेकिन विसर्गकाल में सूर्य की गर्मी (तेज) कम हो जाती है। इस समय चन्द्रमा बलवान् हो जाता है तथा आकाश बादलों से आच्छादित हो जाता है और वह मनमोहक हो जाता है। वर्षा एवं शीतल वायु के कारण पृथ्वी का तापमान कम हो जाता है। प्राणियों की व्याकुलता दूर हो जाती है। आलस्य-प्रमाद समाप्त हो जाता है, कार्य और भोजन में रुचि बढ़ जाती है।



शनिवार, 20 जून 2020

योग का जीवन में महत्त्व (Importance of yoga in our day-to-day life)


                                                                      
                                                                        
                                                                    ॥ओ३म्॥

                           योग का जीवन में महत्त्व

      (Importance of yoga in our day-to-day life)

 दुःख-  संसार में तीन प्रकार के दु:ख होते हैं-आध्यात्मिक, आधिभौतिक तथा आधिदैविक। इन दु:खों से छूटने का साधन है योग।

इन्हें पढ़ें- वज्रासन का स्वास्थ्य पर प्रभाव

योग का मतलब होता है किसी वस्तु या पदार्थ को एक-दूसरे में मिलाना अर्थात् जोड़ना। किसी भी वस्तु की वृद्धि हेतु योग, न्यूनता हेतु अयोग(अलग) करना।  योग और वियोग सुख-दु:ख का कारण  हमें अपने जीवन को सुखकर बनाने के लिए किन चीजों का योग तथा किन चीजों का अयोग करना है इसका ज्ञान होना चाहिए।



मंगलवार, 19 मई 2020

गुलाब शर्बत बनाने की विधि व लाभ

                                                 ॥ओ३म्॥

                   गुलाब शर्बत बनाने की विधि व लाभ



गुलाब- गुलाब शर्बत बनाने के लिए निम्न चीजों की आवश्यकता पड़ती है।



रविवार, 10 मई 2020

मातृ दिवस


                                       💥।।ओ३म्।।💥

    मातृ दिवस की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं


मां शब्द नहीं जीवन है,
जीवन की धूप छांव है,
घुटने पर चलती देख सन्तान को,
हंस्ती-मुस्कुराती है मां,
फूले नहीं समाती है मां,
खेल खेल में पैरों पर,
खड़ा कर देती है मां,
ममता की रक्षा में,
काला टीका लगाती है मां,
कभी डांटती कभी मनाती हैं मां,
हो जाय सन्तान कितना भी बड़ा,
रहता वो सदा चांद का टुकड़ा,
व आंखों का तारा वह,
मां का रखें ध्यान,
कभी न करें अपमान,
मां शब्द नहीं जीवन है,
जीवन की धूप छांव है।


वैदिक संस्कृति में माता का स्थान सर्वोपरि है। वेदों में मां को अनेक नामों से जाना जाता है। मां के विषय में वेदोंक्त वाक्य इस प्रकार है-

"माता निर्माता भवति" - माता संतानों का निर्माण करने वाली है। माता को प्रथम शिक्षक बताया गया है। गर्भावस्था से लेकर 5-6 वर्ष अपनी भूमिका निभाती है तथा समाज में प्रवेश कराती है अर्थात् समाज के प्रथम सोपान पर सफलतापूर्वक सदाचार सुसज्जित कर चढ़ाने का दायित्व मां पर है। संस्कार का बीजारोपण व विकसित इसी समय किया जाता है जो जीवन पर्यन्त दृढ़ रहता है। बीज के आधार पर ही वृक्ष और फल की गुणवत्ता का अनुमान लगाया जाता है।

जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गदपि गरीयसी।'  अर्थात, जननी और जन्मभूमि को स्वर्ग से भी महान कहा है।

"मातृ देवो भव:" - अर्थात् मां का स्थान देवों से भी ऊंचा माना है।

"मातृमान् पितृमानाचार्यवान पुरूषो वेदः"(शतपथ ब्राह्मण)- अर्थात् तीन उत्तम शिक्षकों में प्रथम शिक्षक मां है।

बुधवार, 29 अप्रैल 2020

ग्रीष्म ऋतुचर्या (Summer season)


‌‌                             ॥ओ३म्॥

ग्रीष्म ऋतुचर्या (Summer season)

ग्रीष्म ऋतु का परिचय-

सर्दी और गर्मी को मिलाने वाली तथा गर्मी का प्रारंभ करने वाली वसंत ऋतु समाप्त हो जाने पर जिन महीने में गर्मी अपने पूरे रूप में पड़ने लगती है उस ऋतु का नाम ग्रीष्म ऋतु है। इन दिनों सूर्य अपने अपनी पूरी शक्ति से संसार को तपाता है। सूर्य का ताप प्रकाश और प्राण ग्रीष्म ऋतु में अधिक से अधिक प्राप्त होता है। इसलिए सूर्य से मिलने वाले इन वस्तुओं का हमें इस ऋतु में अधिक से अधिक उपयोग करना चाहिए। सूर्य रश्मियों के सहारे से अपने मलों और विकारों को निकालकर निर्मलता और पवित्रता प्राप्त करनी चाहिए। यह काल आदान काल कहलाता है। साधारणतः समझा जाता है कि इस समय हमारा बल-शक्ति आदि क्षीण हो जाते हैं। परंतु यदि हम इस ऋतु का ठीक उपयोग करें तो इस द्वारा हमारा कोई भी वास्तविक बल क्षीण न होगाकिंतु आदित्यदेव की पवित्रता कारक किरणों के उपयोग से केवल मलदोष और विकार ही क्षीण होते हैं। सूर्य भगवान् हमारे शरीर में से केवल मलों और दोषों का आदान करके हमें पवित्र करते हैं।





शनिवार, 11 अप्रैल 2020

महामारी फैलने का मुख्य कारण {Reasons for EPIDEMIC outbreak}

                 ॥ओ३म्॥

महामारी फैलने का मुख्य कारण

  {Reasons for EPIDEMIC outbreak}




[ले०दीपिका, बी.ए.एम.एस. द्वितीय वर्ष, पतञ्जलि आयुर्वेद महाविद्यालय, हरद्वार, (उत्तराखण्ड) 9991337335]
 [आज न केवल मानव अपितु सम्पूर्ण प्राणि-जगत् विश्व स्तर पर त्रिविध तापों (आध्यात्मिक, आधिभौतिक, आधिदैविक) से त्रस्त होकर त्राहि-त्राहि कर रहा है। सभी प्राणियों में मनुष्य को सर्वश्रेष्ठ कहा गया है (न मानुषात् श्रेष्ठतरं हि किञ्चित्। महाभारत, शान्तिपर्व ३२९.८)]। लेकिन यह तब है जबकि वह स्वयं मर्यादित रहकर धर्मयुक्त आचरण करे। धर्म से हीन होने पर इससे निकृष्ट भी कोई नहीं है—‘धर्मेण हीनाः पशुभिः समानाः। मनुष्येतर प्राणी प्रकृति-प्रदत्त मर्यादाओं में रहते हुए स्वजीवन को सञ्चालित करते हैं। इसीलिए वे स्वाभाविक रूप से किसी के लिए संकट नहीं बनते। लेकिन जब मनुष्य धर्मभ्रष्ट होता है तो यह न केवल प्राणिजगत् के लिए अपितु सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के लिए विनाशक बन जाता है। जब-जब यह मर्यादाहीन, धर्महीन हुआ है तब-तब किसी न किसी महामारी के माध्यम से यह सभी के लिए संकट बना है। हमें ऋषियों के निर्देश सर्वथा ध्यान में रखने चाहियें किअपूज्या यत्र पूज्यन्ते पूज्यानां तु विमानना। त्रीणि तत्र प्रवर्त्तन्ते दुर्भिक्षं मरणं भयम्॥ अर्थात् जिस देश व समाज में अपूज्य(दुष्ट) व्यक्तियों की पूजा होती है और पूज्य (परोपकारी) व्यक्तियों का तिरस्कार होता है वहां दुर्भिक्ष (अकाल), असामयिक मृत्यु तथा भय ये तीनों विपत्तियां सदा बनी रहती हैं।

 इसी प्रकार के अनेक कारणों का विवेचन एवं विश्लेषण आयुर्वेद की अध्येत्री दीपिका ने चरक संहिता, विमानस्थान के तृतीय-अध्याय के माध्यम से प्रकृत लेख में किया है।सम्पादक- वैद्य. सुनीता अग्रवाल]  


जब-जब मनुष्य प्रकृति के विपरीत जाता है तब-तब उसे भयंकर क्षति का सामना करना पड़ता है। जैसा कि आजकल दिखाई भी दे रहा है Corona virus के रूप में। जो कहा जा रहा है कि चमगादड़ व सांपों में होने वाली बीमारी है पर आज मनुष्यों में भी देखी जा रही है। यह इसी का तो परिणाम है कि मनुष्य का जो धर्म है वह उसके विपरीत जा रहा है और प्रकृति के संतुलन को बिगाड़ रहा है। तो प्रकृति तो अपना सन्तुलन सुधारेगी ही वह चाहे जिस भी रूप में हो, चाहे कोई प्राकृतिक आपदा भूकम्प आदि या कोई महामारी। यह कोई पहली बार नहीं है जो प्रकृति एक महामारी के रूप में अपना सन्तुलन बना रही है। हमारे संज्ञान में इससे पहले भी तीन बार प्रकृति यह दोहरा चुकी है—1720 में The Creat plague of Marveille के रूप में, 1820 में The cholera pandamic in Asia के रूप में तथा 1920 में Spanish flu के रूप में और अब 2020  में Corona virus outbreak के रूप में इससे यह  सिद्ध होता है कि प्रकृति अपना सन्तुलन बना ही लेगी चाहे हम उसके साथ कितनी ही छेड़खानी क्यों न कर लें। इसलिए हमें प्रकृति के सन्तुलन के अनुसार ही चलना चाहिए।

बुधवार, 8 अप्रैल 2020

"कार्य की सफलता" (Success of work)

                                                                   🔥।।ओ३म्।।🔥

            "कार्य की सफलता" (Success of work)

कार्यकुशलता व सुव्यवस्था पर निर्भर है। इन दोनों का आधार धैर्य है जो सफलता की प्रथम सीढ़ी है। ऐसे ही त्रेतायुग के सुप्रसिद्ध देश व धर्म रक्षक ओज-तेज से पूर्ण शारीरिक, मानसिक व चारित्रिक बल के धनी, कार्य कुशल धीर, वीर, गम्भीर, वेद-वेदांगों के ज्ञाता प्रभु श्रीराम के कार्य को सफल बनाने वाले भक्त बाल ब्रह्मचारी महाबीर हनुमान जी जयन्ती पर सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।


सोमवार, 30 मार्च 2020

झूले की वैज्ञानिकता

                   
 झूले की वैज्ञानिकता

स्वास्थ्यवर्धक व मनोरंजक झूला- 

झूला झूलना शारीरिक मानसिक रोग को दूर करने में बहुत ही उपयोगी है तथा मनोरंजन का अच्छा साधन। सावन और बसन्त के झूले बहुत ही मनोहारी होते हैं।

सावन का महीना पवन करे सोर,जियरा रे झूमे ऐसे जैसे मनवा नाचे मोर।नाचें गाएं धूम मचायें बच्चे बुढ़े और जवान,रोग मिटाएं, तन-मन में उमंग जगायें, दवा पास न लायें।

झूले का महत्व-

शुक्रवार, 27 मार्च 2020

“वेदवाणी मासिक पत्रिका”


“वेदवाणी मासिक पत्रिका”

‘वेदवाणी’ अर्थात् वेद का वचन, कथन। वेद = ज्ञान। वाणी = वचन। वेद अर्थात् ज्ञान की चार पुस्तक  (ग्रन्थ) है जिसे ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद अथर्ववेद कहा जाता है। वेद मानव जीवन का सूचीपत्र (Catalogs) है। इसमें मानव के उत्थान-पतन का समस्त ज्ञान-विज्ञान है। वेद सब सत्य विद्याओं का पुस्तक है। इसका पढ़ना-पढ़ाना, सुनना-सुनाना मानव का परम धर्म है। परम = उत्कृष्ट, मुख्य, प्रधान, पूर्णरूप से। धर्म = धारण करने योग्य, अपनाने योग्य।



शनिवार, 21 मार्च 2020

अवसर अभी है

🔥।।ओ३म्।।🔥
"अवसर अभी है"
ज्ञान का सागर चार वेद,
यह वाणी है भगवान् की,

इसी से मिलती सब सामग्री,
जीवन के कल्याण की,
इसके विपरीत जो जायेंगा,
जीवन में कभी न सुख पायेंगा,
दिन-हीन व दु:ख सागर से,
कभी न निकल पायेगा,
जंगल को काट प्रकृति को,
उजाड़ा हमने,
जीवों को खाकर पेट को,
बनाया कब्रिस्तान है,
संतुलन बिगाड़ प्रकति का,
हमने स्वयं को संकट में है डाला ,
अभी तो "कोरोना" आया है,
आगे आगे देखो,
क्या-क्या आयेगा,
अभी भी संज्ञान न लिया तो,
तिल-तिल मरने को,
विवश हो जाओगे,
ईश्वर को चुनौती देने वाले,
ज्यादा नहीं थोड़ी समझ दिखाओं तुम,
जीवों की हत्या  बन्द करो,
प्रकृति संगीतमय बनायें हम,
जीवन का आनन्द लौटायें हम,
अपनों का साथ निभायें हम,
गौ पालन का अभियान चलाओ तुम,
जिसमें है तेंतीस कोटी,
देवताओं का निवास,
सुख-शान्ति का जिसमें वास,
रसायन मिश्रित मिल रहे हैं आहार सभी,
क्योंकि प्रकृति से प्यार नहीं,
हमें ब्रांडेड व विदेशी वस्तु से है प्यार,
स्वदेशी अपनाओ देश बचाओ,
महर्षि दयानन्द ने किया आह्वान है,
"चलो वेदों की ओर"
जय भारत 

शुक्रवार, 20 मार्च 2020

शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2020

वसन्त ऋतु का स्वास्थ्य पर प्रभाव

               

वसन्त ऋतु (Spring Season)

 वसन्त ऋतु का परिचयइसके हिन्दी महीने चैत्र और वैशाख हैं, अंग्रेजी मार्च-अप्रैल। लेकिन राज्य व जलवायु भेद से अलग-अलग होता है। इस ऋतु से जाड़े का अन्त और गर्मी का आरम्भ होता है। वृद्धावस्था (शिशिर ऋतु) से वर्ष का अन्त तथा यौवनावस्था (वसन्त) से वर्ष का आरम्भ होता है।



गुरुवार, 30 जनवरी 2020

बसन्त ऋतु का आगमन

                               

          🌻🌻 बसन्त ऋतु का आगमन🌻🌻


बसन्त ऋतु आयी,

प्रकृति ने ली अंगड़ाई,

ऋतुओं का राजा बसन्त आया,

प्रकृति का बुढ़ापा भगाया,

यौवन वापस लाया,

प्रकृति को दुल्हन सा सजाया,

गुरुवार, 23 जनवरी 2020

व्यायाम का महत्व (Importance of exercise )

             व्यायाम का महत्व

         (Important of exercise)

मानव जीवन का उद्देश्य है दु:ख से छुटना और सुख को पाना तथा इन सबका आधार है उत्तम स्वास्थ्य। कहा भी जाता है "पहला सुख निरोगी काया" अर्थात् जीवन के समस्त सुख-दु:ख के भोग का आधार है शरीर। संसार के चलचित्र को देखना है तो इस शरीर रुपी साधन का विकार रहित रहना अतिआवश्यक है। विकार रहित अर्थात् शरीर को स्वस्थ रखना। इसको स्वस्थ रखने का जो उपाय है आयुर्वेद में उसका नाम स्वस्थवृत (सुरक्षा कवच) है। उन अनेक उपाय में से एक उपाय है व्यायाम जिस पर हम बात करेंगे।
संसार के समस्त क्रियाओं के संचालन का आधार शक्ति और गति है। व्यायाम शारीरिक शक्ति और गति की वृद्धि का महत्वपूर्ण व उत्तम साधन है। व्यायाम का मतलब श्रम होता है। शारीरिक और मानसिक विकास के लिए श्रम अनिवार्य है। भारत के प्राचीन चिकित्सा वैज्ञानिकों (ऋषियों) ने हमें स्वास्थ्य रक्षा की ऐसी वैज्ञानिक विधियां प्रदान की है जिसके लिए न तो हमें अलग से हमें न धन की, न समय की आवश्यकता हैं। लगभग दैनिक कार्यों के माध्यम से हमें उत्तम स्वास्थ्य आसानी मिल जाता है।


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