॥ओ३म्॥
ग्रीष्म ऋतुचर्या (Summer season)
ग्रीष्म ऋतु का परिचय-
सर्दी और गर्मी को मिलाने वाली तथा गर्मी का प्रारंभ करने वाली वसंत ऋतु समाप्त हो जाने पर जिन महीने में गर्मी अपने पूरे रूप में पड़ने लगती है उस ऋतु का नाम ग्रीष्म ऋतु है। इन दिनों सूर्य अपने अपनी पूरी शक्ति से संसार को तपाता है। सूर्य का ताप प्रकाश और प्राण ग्रीष्म ऋतु में अधिक से अधिक प्राप्त होता है। इसलिए सूर्य से मिलने वाले इन वस्तुओं का हमें इस ऋतु में अधिक से अधिक उपयोग करना चाहिए। सूर्य रश्मियों के सहारे से अपने मलों और विकारों को निकालकर निर्मलता और पवित्रता प्राप्त करनी चाहिए। यह काल आदान काल कहलाता है। साधारणतः समझा जाता है कि इस समय हमारा बल-शक्ति आदि क्षीण हो जाते हैं। परंतु यदि हम इस ऋतु का ठीक उपयोग करें तो इस द्वारा हमारा कोई भी वास्तविक बल क्षीण न होगा, किंतु आदित्यदेव की पवित्रता कारक किरणों के उपयोग से केवल मल, दोष और विकार ही क्षीण होते हैं। सूर्य भगवान् हमारे शरीर में से केवल मलों और दोषों का आदान करके हमें पवित्र करते हैं।