बुधवार, 15 जुलाई 2020

आचार्य सुश्रुत द्वारा बताये गये आयुर्वेद के आठ अंग-

                                                                   

                                                                     🔥।।ओ३म्।।🔥

आचार्य सुश्रुत द्वारा बताये गये आयुर्वेद के आठ अंग-



सुश्रुत संहिता ग्रंथ के प्रथम अध्याय का विषय इस प्रकार है-

 1. शल्यतन्त्र (Surgery)

अर्थात् शरीर में किसी भी प्रकार के बाह्य बस्तुओं का घुस जाने, आन्तरिक व बाह्य अंगों में फोड़ा-फुन्सी, होने पर शरीर से बाहर निकालना, मूढ़गर्भ अर्थात् विकृत गर्भ वा गर्भस्राव जन्य कष्टों के कारणों निवारण कैसे हो आदि का वर्णन है।

2.शालाक्यतन्त्र(Ophthalmology)- 

इसमें अन्तर्गत गले से ऊपर आंख, कान, नाक, मुख आदि के रोग , कारण और निवारण पर विचार किया गया है।

3. काय चिकित्सा (Medicine)- 

अर्थात् शरीर में उत्पन्न रोगों की चिकित्सा कैस किया जाये इस पर वर्णन है।

4. भूतविद्या (Demonology)- 

इसके अन्तर्गत मानसिक रोगों का कारण व निवारण विषय है।

5. कौमारभृत्य (Pediatrics)- 

इसमें शिशु और प्रसूता की देखभाल (Care) कैसे करें का विस्तृत वर्णन है।

6. अगद्तन्त्र (Toxicology)-

यह विष -विज्ञान का अंग है। इसमें जड़ जङ्गम अर्थात् जन्तु और वनस्पतियों के विष का हमारे शरीर पर क्या प्रभाव होता है । हम इनके प्रभाव से कैसे बचें और बचायें आदि पर पूर्ण जानकारी है।

7. रसायन तन्त्र (Geriatrics)- 

इस तन्त्र के अन्दर के शारीरक, मानसिक, आत्मिक बल को युवा सदृश बनाये रखने के उपायों का वर्णन है।

8. वाजीकरण- 

यह सन्तान उत्पत्ति का तन्त्र है। इस तन्त्र के अन्तर्गत सन्तानोत्पत्ति के साधन शुक्र और शुक्राणुओं को स्वस्थ रखने के उपायों का वर्णन है। इसे अष्टांग आयुर्वेद कहा जाता है।

     जानें और अपनायें, तन-मन का रोग भगायें

रविवार, 12 जुलाई 2020

कचरी खायें रोग भगायें-

                               
                              ॥ओ३म्॥


           कचरी खायें रोग भगायें-

      आयुर्वेद की दृष्टि से जानें कचरी के गुण व उपयोग-


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