बेल का औषधीय प्रयोग
वनस्पति परिचय-
बेल
के वृक्ष लगभग भारत के सभी प्रदेशों में पाये जाते है। तथा 40-50 फिट ऊंचे होते हैं।
इसे बेल, बिल्व, श्रीफल, शांडिल्य, शैलूष, मालूर आदि अनेक नामों से जाना जाता है। यह
वृक्ष फाल्गुन-चैत्र में पत्रविहीन हो जाता है तथा चैत्र- वैशाख में पुनः नये पत्रों
के साथ सजकर हरा-भरा हो जाता है। औषधि निर्माण में इसके सभी अंगों का प्रयोग किया जाता
है। चिकित्सीय योगों में बिल्व चूर्ण एवं दशमूल का प्रयोग वैद्य जगत रोगों को ठीक करने
के लिए आधिकता से प्रयोग करता है।