मंगलवार, 24 दिसंबर 2019

शिशिर ऋतु में स्वास्थ्य-सुरक्षा

             

         शिशिर ऋतु में स्वास्थ्य-सुरक्षा

     (Health Care in Shishir Ritu, Winter Season)


परिचयशिशिर ऋतु भारतीय कालगणना के अनुसार वर्ष का छठा अन्तिम ऋतु है। इसे पतझड़ मास या ऋतु भी कहा जाता है। क्योंकि इस ऋतु में वृक्ष पर्णविहीन हो जाते हैं। इस ऋतु को वर्ष या  प्रकृति की वृद्धावस्था भी कहते हैं। इसके हिन्दी महीने माघ-फाल्गुन तथा अंग्रेजी महीने जनवरी-फरवरी हैं। इस ऋतु में वातावरण का ताप सबसे कम तथा ठण्ड सबसे अधिक होती है। चारों तरफ कोहरा छाया रहता है। कोहरे के कारण धरती-अम्बर एक सा प्रतीत होता है। इस ऋतु (२२ दिसम्बर) से आदानकाल अर्थात् उत्तरायण का आरम्भ होता है। इस ऋतु में सूर्य बलवान् होता है। ओषधियां, वनस्पतियां, वृक्ष आदि पृथिवी की पौष्टिकता से पुष्ट होते हैं तथा वृद्धि करते हैं। पुष्ट आहार का सेवन कर जीव जन्तु भी पुष्ट बलशाली होते हैं।



रविवार, 15 दिसंबर 2019

स्वास्थ्य की पहचान (Health`s recognition)

स्वास्थ्य की पहचान (Health`s recognition)

       हम स्वस्थ हैं या नहीं कैसे जाने? (We are healthy or not?)

स्वास्थ्य अर्थात् विकार रहित शरीर का होना। हम अपने स्वास्थ्य रक्षा के लिए तरह-तरह के परीक्षण (Test) करवाते हैं, पर न तो हमे अपनी बीमारी का पता चलता है न ही बीमारी से मुक्ति मिलती है। समय बीतने के साथ-साथ नई-नई और बीमारियां लगती जाती हैं। इन सब परेशानियों से मुक्ति पाने के लिए व अपने स्वास्थ्य के परीक्षण के लिए क्या करना चाहिए ! इसके लिए मैं अपनी नहीं बल्कि वेद तथा ऋषि के बातों को आपके सामने रखती हूँ। अपने स्वास्थ्य की पहचान के लिए आचार्य  सुश्रुत जी ने बहुत ही सरल सूत्र दिया है कि हम स्वस्थ हैं या अस्वस्थ स्वयं जान सकें।


इस श्लोक में आचार्य ने बताया है कि हमारे शरीर में शरीर संचालन के तीन साधन हैं- दोष, अग्नि और धातु।

समदोष: समाग्निश्च समधातुमलक्रियः।

प्रसन्नात्मेन्दियमनाः स्वस्थ इत्यभिधीयते॥

सोमवार, 2 दिसंबर 2019

karoprayograhonirog: वज्रासन का स्वास्थ्य पर प्रभाव-

karoprayograhonirog: वज्रासन का स्वास्थ्य पर प्रभाव-:                                वज्रासन का स्वास्थ्य पर प्रभाव- परिचय- वज्र का अर्थ होता है कठोर। इसलिए इस आसन का नाम है वज्रासन...

सुप्रभात
स्वास्थ्य ही धन है।

गुरुवार, 28 नवंबर 2019

हेमन्त ऋतु में स्वास्थ्य सुरक्षा




                                        हेमन्त ऋतु में स्वास्थ्य सुरक्षा 

  (Health Care in Hemant Ritu, Winter Season)

परिचय (Introduction)— 

वर्ष की छह ऋतुओं में एक ऋतु है हेमन्त ऋतु बड़ा करें। यह अंग्रेजी महीने के अनुसार दिसम्बर से जनवरी तथा विक्रमी संवत् के अनुसार मार्गशीर्ष-पौष का महीनों में होती है। ऋतुपरिवर्तन अर्थात् राशि-परिवर्तन। इस ऋतु की राशि वृश्चिक और धनु है। इस ऋतु में मौसम सुहाना लेकिन थोड़ा कष्टकारी होता है। इस समय धरती चारों तरफ से हरियाली  कोहरे से ढंकी रहती है।  शीतल वायु चलती है।



बुधवार, 6 नवंबर 2019


🔴 सफलता के सूत्र 🔴


प्रतिकूलता,
जीवन को बहुत ही
सुखदायी बनाते हैं,
पर हम उसे दु:ख का,
कारण बताते हैं,
जीवन के पथ पर,
अनेक सगे-संबंधी,
व मित्र मिलते हैं,
जो स्वार्थ सिद्ध,
करने में लगे होते हैं,
वही प्यार की बड़ी-बड़ी,
बात करते हैं,
इन सम्बन्धों की,
अनुकूलता-प्रतिकूलता,
की अनूभूति ही,
परमात्मा की याद दिलाती हैं,
क्योंकि वो ही कष्ट,
निवारण करता है,
अपने कष्ट निवारक के लिए,
परमात्मा की ही धज्जियां,
उड़ाने से मानव नहीं चूकता,
तो एक-दूसरे सम्बंधी,
की बात कौन करें,
संसार तो सहयोग,
से ही चलता है,

बुधवार, 23 अक्तूबर 2019

दीपावली का हमारे जीवन में महत्त्व

                             🔥 दीपावली 🔥

                      "तमसो मा ज्योतिर्गमय"

यह भारत की प्राचीन परम्परा है जिसका सम्बन्ध नये फसल से हैं। प्रकृति की शुद्धता से है। दीपावली अर्थात् दीपों की पंक्ति अर्थात् दीपों को लाइन में लगाकर तरह-तरह की आकृति देकर घर-आंगन को सजाया जाता है। इसे प्रकाश पर्व भी कहा जाता हैं। यह कार्तिक मास की अमावस्या को मानायी जाती है। इस दिन वर्ष की सबसे अंधेरी रात होती है। इस अंधेरे को दूर करने के लिए घी-तेल के दीये जलाये जाते हैं। इसे शारदीय नवस्येष्टि कहा जाता है। नवस्येष्टि का अर्थ होता है नये फसल का यज्ञ। इसी समय धान, उड़द, मूंग, ज्वार, बाजरा, तिल, मूंगफली आदि फसलों का आगमन होता है। साग-सब्जियों से खेत परिपूर्ण रहते हैं। किसान की समृद्धि से सबकी समृद्धि होती है। आज के दिन नये फसल धान के खील आदि से यज्ञ किया जाता है।


बुधवार, 16 अक्तूबर 2019



                                सिंघाड़ा

पोषक तत्वों से भरपूर, सिंघाड़ा हर उम्र को भाये।
तन-मन का रोग भगायें, सौन्दर्य में चार चांद लगाये।।


रविवार, 13 अक्तूबर 2019

शरद् पूर्णिमा का जीवन में महत्त्व

शरद् पूर्णिमा का जीवन में महत्त्व-


आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद् पूर्णिमा कहा जाता है। इस पूर्णिमा से गर्मी का समापन और सर्दी का आगमन होता है। गर्मी और बरसात के कारण उष्ण व दूषित हुई प्रकृति स्वच्छता को प्राप्त होती है। अर्थात् गर्मी से शीतलता की ओर बढ़ना। इस दिन वातावरण की स्वच्छता हेतु बड़े-बडे यज्ञों का आयोजन किया जाता है।

सोमवार, 7 अक्तूबर 2019

विजयादशमी (दशहरा)



विजयादशमी (दशहरा)-
की हार्दिक बधाई व शुभ कामनाएं

विजयादशमी,

बुराई  पर अच्छाई की,
जीत बतायी जाती है,

शुक्रवार, 4 अक्तूबर 2019

हमारे जीवन में फूलों जैसी सुगंध और  मुस्कान हो-

फूल हमेशा हंसते-मुस्कुराते रहते हैं। सर्दी, गर्मी या बरसात हो, आंधी या तूफान हो, या हो जायें डाली से अलग, हर परिस्थिति में अपनी मुस्कान सुगंध से दुनियां को सुख पंहुचाते हैं। इन्हें धागे में पिरो देते हैं तो गले का हार बन सम्मान दिलाते हैं, सुखकर भी जीवन रक्षक औषधि बन जाते हैं, हर हाल में ये हंसते-मुस्कुराते हैं।



शुक्रवार, 20 सितंबर 2019

भगवान् श्रीराम का अस्तित्व

💥।।ओ३म्।।💥
रामायण के दो व्यक्ति को,
कोई भी अच्छा नहीं कहता,
जिसमें एक है स्त्री,
और एक है पुरुष,
आजतक उस नाम से,
अपने बच्चों का नाम भी,
कोई नहीं रखता है,
लेकिन इन दोनों की,
भूमिका से ही
भगवान् श्रीराम जी,
का उज्जवल अस्तित्व,
हमारे सामने है,
यदि ये दोनों पुण्य,
आत्माओं को हटाकर,
देखिए रामायण,
कहां नजर आता है।
विचारिये और अपना,
विचार दीजिए,
उस पात्र का नाम भी बताइये। ओ३म
🙏🏻🙏🏻🙏🏻

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मंगलवार, 17 सितंबर 2019

वैद्य के गुण-दोष


वैद्य के गुण-दोष एवं अध्ययन-अध्यापन विधि ((litities, defects, and study teaching method of vaidya)-

सुश्रुत संहिता के तृतीय अध्याय ‘अध्ययनसम्प्रदानीय’ अध्याय में बहुत ही अच्छे ढंग से  विचार किया गया हैं। आइये जानने का प्रयास करते हैं कि इस पर ऋषि ने क्या विचार दिया है।

1. विषयों का वर्गीकरण (Classification of Subjects)— इस संहिता के अन्दर कितने विभाग अध्याय आदि हैं, उनका वर्णन करते हुये वैद्य के गुण-दोष एवं अध्ययन-अध्यापन विधि  का वर्णन है।



शुक्रवार, 13 सितंबर 2019

मृत्युंजय मन्त्र और स्वास्थ्य


                           मृत्युंजय मन्त्र

ओ३म् त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।

इस मन्त्र को मृत्युंजय मन्त्र अर्थात् मृत्यु को जीतने वाला बताया गया है। यह मन्त्र आर्य जगत् हो या पौराणिक जगत् सभी में उच्च स्थान पर है सभी इस मन्त्र का जप करना चाहते हैं, करते भी हैं। विशेषकर पौराणिक जगत् में पुरोहित को अपने यजमान को उस समय जप करने की सलाह देते हैं जब वह मृत्यु के नजदीक हो। आइये जानते हैं क्यों?



बुधवार, 11 सितंबर 2019

आशा का दीपक

🔥।।ओ३म्।।🔥
कोई कहता है,
आशा का दीपक,
अन्दर व बाहर का,
अंधेरा हर लेता है,
हमें अपना दीपक,
स्वयं बनकर,
अपनी राह को,
आलोकित करना है,
कोई किसी का,
दीपक नही बनता,
बहुत अच्छा,
बस कोई आके,
बुझे दीपक में,
चिनगारी लगा देता है,
जलना तो स्वयं ही पड़ता है,
बिना जले प्रकाश नहीं होता,
प्रकाशक बनना है तो,
जलना ही पड़ेगा,
पर जलने का अवसर,
सबको नहीं मिलता,
भूमि में बीच अनेकों,
डालते हैं किसान,
पर हर बीज,
अपने जैसा उत्पन्न नहीं करता,
जो करता है वो सबका,
पेट भरकर तृप्त कर देता है।
वैद्य. सुनीता अग्रवाल 8901360864
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गुरुवार, 15 अगस्त 2019

वज्रासन का स्वास्थ्य पर प्रभाव-

                

              वज्रासन का स्वास्थ्य पर प्रभाव-

परिचय- वज्र का अर्थ होता है कठोर। इसलिए इस आसन का नाम है वज्रासन। इस आसन को करने से शरीर मजबूत बनता है।

विधि- इस आसन को करने के लिए दोनों पैरों को मोड़कर पैरों की एड़ियां नितम्ब के नीचे लगायें। पैरों को इस प्रकार रखें कि पैरों के दोनों अंगूठे आपस में मिलें हों तथा पंजे फैले हों। नितम्ब तलवों के ऊपर हो। घुटने सामने से मिले हों। हथेलियां घुटने के पास पैरों के ऊपर रखें। कमर, गर्दन को सीधा व दृष्टि सामने रखते हुए प्रतिदिन 5-10 मिनट का अभ्यास करने से उत्तम स्वास्थ्य प्राप्त होता है। इसमें श्वास की गति सहज व सामान्य (Normal) चलने दें।

यह अनेक आसनों में से एक अकेला आसन जिसे भोजन करने के बाद किया जाता है। समस्त आसन खाली पेट किते जाते हैं। इसे बच्चा, बुढ़ा, जवान सभी उम्र के लोग बड़े ही आराम से कर सकते हैं वे लाभ उठा सकते हैं।


इस आसन का अभ्यास योगी जन ध्यान करने के लिए भी करते हैं।


 लाभ- इस आसन को करने से शारीरिक, मानसिक आध्यात्मिक अनेक लाभ प्राप्त होते हैं उनमें से कुछ लाभ इस प्रकार हैं-

शनिवार, 3 अगस्त 2019

मित्रता दिवस(Friendship day)-

            मित्रता दिवस(Friendship day)-


💥।।ओ३म्।।💥
🌹 मित्रता दिवस की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं....

आज दिवस के अवसर पर मैं अपने स्नेही मित्रों से दो शब्द साझा करना चाहूंगी। 

  

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी हैं। वह अकेला जीवन यापन नहीं कर सकता। जीवन यापन के लिए ईश्वर ने मनुष्य को कर्मानुसार जन्म से ही सम्बंधियो से युक्त सुरक्षा कवच उपलब्ध कराया है। लेकिन एक सम्बंध बनाने की जिम्मेदारी मानव को सौंपी है। वो जिसे चाहे बना सकता है। पूरी स्वतंत्रता प्रदान किया है और वह है मित्रता का सम्बंध। हमारे जीवन में मित्र की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसी सम्बंध के आधार पर मानव जीवन का विस्तार होता है तथा पहचान बनती है।



मानव समाज के विस्तार का आधार उसके व्यवहार यानि आचरण होता है। हम अपने सुविचारों व सुआचरण से अपने परिजन को लाभ पहुंचाते रहें यही कामना करती हूं।


हमें जीवन में ऐसे मित्रों को स्थान देना चाहिए जो केवल व केवल सत्य का दर्शन कराने वाला हो, कुसंस्कारों से निकालकर सुसंस्कारों को भरने वाला, पतन से निकालकर उत्थान का पथ प्रदर्शक हो। और यही व्यवहार हमारा भी अपने मित्रों के प्रति हो ऐसा हमें इस हर्ष दिवस पर ऐसा संकल्प लेना चाहिए जिससे हमारा जीवन सुखमय बन सके।
   
 शाश्वत सत्य है,  सभी रिश्ते हमारे कर्मानुसार ईश्वर ने बनाये हैं, जीवन का केवल व केवल एक रिश्ता बनाने की जिम्मेदारी हम पर सौंपी है और वो है मित्रता का। और जैसा हम चाहते हैं।


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