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शनिवार, 10 मार्च 2018
अडूसा
औषध
परिचय- इसके पौधे छोटे तथा झाडीदार होते हैं। इसे संस्कृत में वासा, वासक, अडूसा, आटरूषक,
वृष, वाजिदन्त, वासिका आदि कहा जाता है। इस पर पुष्प का शरद ऋतु में आते हैं तथा
गु्च्छों के रुप में लगते हैं। यह भारत के लगभग सभी स्थानों में पाये जाते हैं। निधण्टु
में इसका स्थान गुडूच्यादि वर्ग के अन्दर है।
औषध
के गुण- इसका स्थान कफघ्न औषधिओं में प्रथम है। यह ह्रद्य रोग तथा रक्तपित्त की उत्तम औषधि है। चाहे शरीर के किसी भी अंग से रक्त निकलता हो उसे रोकने में कारगर है।
यह हृद्य गति को नियंत्रित करता है। ज्वर की दुर्बलता लाभकारी है।
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