बेल का औषधीय प्रयोग
वनस्पति परिचय-

बेल
ग्रीष्म ऋतु में मिलने वाला मधुर व स्वादिष्ट फल है। बेल से अनेक प्रकार के स्वादिष्ट
व्यंजन मुरब्बे, कैण्डी, शर्बत बनायें जाते हैं। इससे बने व्यंजन बच्चे-बूढे सभी पसंद
करते हैं।
कच्चा बेल कटु, तिक्त, कषाय, उष्ण, स्निग्ध, दीपन, ग्राही,
वात-कफ नाशक है तथा आंतों को बल प्रदान करता है। कच्चे बेल पंसारी के दुकान के किसी
भी ऋतु में मिल जाते हैं। पावडर के रुप में कच्चे बेल का ही प्रयोग किया जाता है।
पका बेल मधुर, सुगंधित, गुरू, विदाही व विष्टम्भि है।
पके बेल ग्रीष्म ऋतु में फल व सब्जी विक्रेता से
प्राप्त हो जाते हैं।
रोगानुसार प्रयोग-
·
कब्ज,
आध्मान(पेट फूलना), अतिसार आदि में नित्य प्रातः बेल का शर्बत पीने से लाभ होता है।
स्निग्ध व मृदुविरेक के रूप में संग्रहणी की प्रारम्भिक अवस्था लिया जा सकता है।
· आंव, रक्त
एवं कुंथन युक्त प्रवाहिका में कच्चे भुने बेल का चूर्ण माना गया है। इसके सेवन से
मल में आंव व रक्त कम होता है तथा मल बंध कर आता है।
· रक्तपित्त
वाले के लिए यह विशेष लाभकारी है।
· अर्श के
रोगी को बेल के मूल के सुखोष्ण क्वाथ में बैठाने से अर्श में लाभ होता है।
· दम्मा, खांसी-जुकाम आदि में बेलपत्र का क्वाथ पीने से लाभ होता है।
· बेलपत्र
के कल्क(पेस्ट) को शरीर पर मर्दन करने से शरीर की दुर्गंध दू होती है।
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