👸महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं👸
पश्चिमी सभ्यता ने जहर ये घोला,
कहते हैं लोग नारी का कोई घर नहीं,
वेद व वैदिक सभ्यता चीख-चीखकर कह रही है,
नारी के बिन घर नहीं,
कंकड़-पत्थर का घरौंदा होता है,
नारी ईश्वर की उत्तम रचना है,
उसे जीवन निर्माण का अधिकार दिया,
प्रथम गुरु बना गौरव है प्रदान किया,
कैसे कह दूं नारी का कोई घर नहीं।
दो कूल की मर्यादा है नारी,
गृह का निर्माण करती है नारी,
गृहिणी कहलाती है,
कैसे कह दूं नारी का कोई घर नहीं।
पुरुष का आधा अंग है नारी,
बिन नारी ना होता कार्य कोई पूरा,
निर्माण नारी के हाथों में,
विनाश नारी के हाथों में,
सृष्टि और प्रलय करने का,
सामर्थ्य नारी के हाथों में,
कैसे कह दूं नारी का कोई घर नहीं।
नारी पग बढ़ाओं,
✋ से ✋ मिलाओ🤝 एकता में बन्ध जाओ,
कर्म की होती है पूजा,
चर्म से न होता प्यार,
नर सदा से है नारी के रक्षक,
क्योंकि नारी है पुरुष का,
धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष मूल,
थोड़ा दृष्टिपात करो,
कैसे कह दूं नारी का कोई घर नहीं,
पर ईष्या-द्वेष की अग्नि से,
नारी बनती नारी की शत्रु,
"वर्किंग वूमेन" वर्कर हो सकती है, नारी नहीं।
भारतीय संस्कृति में मां, बहन, बेटी, पत्नी
का सम्मान हर दिन होता है।
" मनु महाराज" ने "मनुस्मृति" में कहा यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता"
अर्थात् जिस घर में नारी की पूजा होती है उस घर में देवता निवास करते हैं, वहां प्रसन्नता का निवास होता। पूजा का अर्थ होता है आदर सत्कार। सुख विशेष का नाम है स्वर्ग। स्वर्ग का निर्माण अकेले न नर कर सकता है न नारी।
दोनों की अलग-अलग है जिम्मेदारी,
एक घर की रानी होती है ,
दूसरा राजा होता है,
दोनों का मन प्रसन्न होता है,
तब चलती है राजधानी।
महिला दिवस पर नारी 🤝 को नमन 🙏🙏🙏
व हार्दिक शुभकामनाएं🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
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धन्यवाद