वज्रासन का स्वास्थ्य पर प्रभाव-
परिचय- वज्र का अर्थ होता है कठोर। इसलिए इस आसन का नाम है वज्रासन। इस आसन को करने से शरीर मजबूत बनता है।
विधि- इस आसन को करने के लिए दोनों पैरों को मोड़कर पैरों की एड़ियां नितम्ब के नीचे लगायें। पैरों को इस प्रकार रखें कि पैरों के दोनों अंगूठे आपस में मिलें हों तथा पंजे फैले हों। नितम्ब तलवों के ऊपर हो। घुटने सामने से मिले हों। हथेलियां घुटने के पास पैरों के ऊपर रखें। कमर, गर्दन को सीधा व दृष्टि सामने रखते हुए प्रतिदिन 5-10 मिनट का अभ्यास करने से उत्तम स्वास्थ्य प्राप्त होता है। इसमें श्वास की गति सहज व सामान्य (Normal) चलने दें।
यह अनेक आसनों में से एक अकेला आसन जिसे भोजन करने के बाद किया जाता है। समस्त आसन खाली पेट किते जाते हैं। इसे बच्चा, बुढ़ा, जवान सभी उम्र के लोग बड़े ही आराम से कर सकते हैं वे लाभ उठा सकते हैं।
इस आसन का अभ्यास योगी जन ध्यान करने के लिए भी करते हैं।
लाभ- इस आसन को करने से शारीरिक, मानसिक आध्यात्मिक अनेक लाभ प्राप्त होते हैं उनमें से कुछ लाभ इस प्रकार हैं-
(1) मन की चंचलता दूर होकर एकाग्रता बढ़ती है।
(2) जठराग्नि तीव्र होती है तथा क्रिया में सुधार होता है।
(3) जिसे भूख नहीं लगती उसकी भूख खुल जाती है।
(4) सायटिका रोग में लाभकारी है।
(5) मुत्राशय तथा वस्ति प्रदेश पुष्ट होता होता है (6) इससे कमर दर्द, घुटने का दर्द, गर्दन का दर्द(सर्वाइकल) गला रोग, गठिया, माहवारी सम्बंधी समस्या आदि दूर होते हैं।
(7) पौरुष शक्ति बढ़ती है।
(8) माहवारी की अनियमितता अर्थात् समय से न आना, दर्द आदि की समस्या दूर होती है।
(9) रक्तसंचार ठीक रहता है। रक्त संचार ठीक रहने से रक्तचाप (Blood pressure) सामान्य (Normal) व संतुलित(Balance) रहता है।
(10) शरीर तथा पेट की स्थूलता कम होती है।
(11) मधुमेह रोगियों के लिए लाभकारी है।
(12) अग्न्याशय(Pancreas), यकृत (Liver), बड़ी-छोटी आंत पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।
(13) स्वभाव सौम्य होकर क्रोध, उत्तेजना शान्त होती है।
सावधानी-
(1) आसन करने के लिए रुई के गद्दे का प्रयोग करें।
(2) फोम, प्लास्टिक आदि के गद्दे या चटाई का प्रयोग न करें।
(3) यदि एड़ी, पैर, घुटने आदि में दर्द हो या किसी प्रकार का सर्जरी कराया हो वह न करें।
👥👥पाठक बन्धुओं से निवेदन है यदि मेरे विचार पसंद हों तो अपनी पसंद को अपने स्नेही तथा इष्ट मित्रों तक अवश्य पहुंचायें जिससे वे भी लाभ उठा सकें। हमारा थोड़ा सा कष्ट व समय दूसरों के लिए सुखदायी हो सकता है। "कर भला तो हो भला" धन्यवाद, नमस्ते जी।
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👌 और कमेंट के माध्यम से त्रुटियों पर ध्यानाकर्षित अवश्य करायें जिससे सुधार सकूं, आपका एक लाइक, कमेंट मेरा उत्साहवर्धन व त्रुटि सुधार के लिए अनमोल है। धन्यवाद
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वज्रासन का स्वास्थ्य पर प्रभाव-
परिचय- वज्र का अर्थ होता है कठोर। इसलिए इस आसन का नाम है वज्रासन। इस आसन को करने से शरीर मजबूत बनता है।
विधि- इस आसन को करने के लिए दोनों पैरों को मोड़कर पैरों की एड़ियां नितम्ब के नीचे लगायें। पैरों को इस प्रकार रखें कि पैरों के दोनों अंगूठे आपस में मिलें हों तथा पंजे फैले हों। नितम्ब तलवों के ऊपर हो। घुटने सामने से मिले हों। हथेलियां घुटने के पास पैरों के ऊपर रखें। कमर, गर्दन को सीधा व दृष्टि सामने रखते हुए प्रतिदिन 5-10 मिनट का अभ्यास करने से उत्तम स्वास्थ्य प्राप्त होता है। इसमें श्वास की गति सहज व सामान्य (Normal) चलने दें।
यह अनेक आसनों में से एक अकेला आसन जिसे भोजन करने के बाद किया जाता है। समस्त आसन खाली पेट किते जाते हैं। इसे बच्चा, बुढ़ा, जवान सभी उम्र के लोग बड़े ही आराम से कर सकते हैं वे लाभ उठा सकते हैं।
इस आसन का अभ्यास योगी जन ध्यान करने के लिए भी करते हैं।
लाभ- इस आसन को करने से शारीरिक, मानसिक आध्यात्मिक अनेक लाभ प्राप्त होते हैं उनमें से कुछ लाभ इस प्रकार हैं-
(1) मन की चंचलता दूर होकर एकाग्रता बढ़ती है।
(2) जठराग्नि तीव्र होती है तथा क्रिया में सुधार होता है।
(3) जिसे भूख नहीं लगती उसकी भूख खुल जाती है।
(4) सायटिका रोग में लाभकारी है।
(5) मुत्राशय तथा वस्ति प्रदेश पुष्ट होता होता है (6) इससे कमर दर्द, घुटने का दर्द, गर्दन का दर्द(सर्वाइकल) गला रोग, गठिया, माहवारी सम्बंधी समस्या आदि दूर होते हैं।
(7) पौरुष शक्ति बढ़ती है।
(8) माहवारी की अनियमितता अर्थात् समय से न आना, दर्द आदि की समस्या दूर होती है।
(9) रक्तसंचार ठीक रहता है। रक्त संचार ठीक रहने से रक्तचाप (Blood pressure) सामान्य (Normal) व संतुलित(Balance) रहता है।
(10) शरीर तथा पेट की स्थूलता कम होती है।
(11) मधुमेह रोगियों के लिए लाभकारी है।
(12) अग्न्याशय(Pancreas), यकृत (Liver), बड़ी-छोटी आंत पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।
(13) स्वभाव सौम्य होकर क्रोध, उत्तेजना शान्त होती है।
सावधानी-
(1) आसन करने के लिए रुई के गद्दे का प्रयोग करें।
(2) फोम, प्लास्टिक आदि के गद्दे या चटाई का प्रयोग न करें।
(3) यदि एड़ी, पैर, घुटने आदि में दर्द हो या किसी प्रकार का सर्जरी कराया हो वह न करें।
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