🔥।।ओ३म्।।🔥
"अवसर अभी है"
"अवसर अभी है"
ज्ञान का सागर चार वेद,
यह वाणी है भगवान् की,
यह वाणी है भगवान् की,
इसी से मिलती सब सामग्री,
जीवन के कल्याण की,
इसके विपरीत जो जायेंगा,
जीवन में कभी न सुख पायेंगा,
दिन-हीन व दु:ख सागर से,
कभी न निकल पायेगा,
जंगल को काट प्रकृति को,
उजाड़ा हमने,
जीवों को खाकर पेट को,
बनाया कब्रिस्तान है,
संतुलन बिगाड़ प्रकति का,
हमने स्वयं को संकट में है डाला ,
अभी तो "कोरोना" आया है,
आगे आगे देखो,
क्या-क्या आयेगा,
अभी भी संज्ञान न लिया तो,
तिल-तिल मरने को,
विवश हो जाओगे,
ईश्वर को चुनौती देने वाले,
ज्यादा नहीं थोड़ी समझ दिखाओं तुम,
जीवों की हत्या बन्द करो,
प्रकृति संगीतमय बनायें हम,
जीवन का आनन्द लौटायें हम,
अपनों का साथ निभायें हम,
गौ पालन का अभियान चलाओ तुम,
जिसमें है तेंतीस कोटी,
देवताओं का निवास,
सुख-शान्ति का जिसमें वास,
रसायन मिश्रित मिल रहे हैं आहार सभी,
क्योंकि प्रकृति से प्यार नहीं,
हमें ब्रांडेड व विदेशी वस्तु से है प्यार,
स्वदेशी अपनाओ देश बचाओ,
महर्षि दयानन्द ने किया आह्वान है,
"चलो वेदों की ओर"
जय भारत
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