एक बंद मकान में कहीं से घूमता फिरता एक सांप घुस गया। वो किसी तरह लकड़ी चीरने वाली आरी से टकरा गया और वो थोड़ा घायल हो गया। घबराहट में सांप ने पलट कर आरी पर पूरी ताक़त से डंक मारा जिसके कारण उसके मुंह से खून निकलने लगा।गुस्से से तमतमाया सांप ने अपने व्यवहार के अनुसार आरी को लपेट लिया। आरी को लपेट कर मारने की पूरी कोशिश की। अब सांप अपने क्रोध के कारण से बुरी तरह घायल हो गया।जब मकान मालिक किसी काम से मकान पर आया तो सांप को आरी से लिपटा मरा हुआ देखा जो किसी और कारण से नहीं बल्कि अपने क्रोध के कारण जीवन लीला समाप्त कर डाला था।
इसी प्रकार हम दूसरों को हानि पहुंचाने का प्रयास करते हैं। हम भूल जाते हैं कि क्रोध में हम सामने वाले की नहीं बल्कि स्वयं को हानि पहुंचाते हैं। क्रोध में हमारी बुद्धि विवेकहीन हो जाती है। क्रोध में लिया गया कोई भी निर्णय सही नहीं होता। इस कहानी के माध्यम से सार ये है हमें यह सीख मिलती है कि अच्छे जीवन के लिए कुछ चीजों को, कुछ लोगों को, कुछ घटनाओं को, कुछ कार्यों को और कुछ बातों की अनदेखी कर देनी चाहिए। हमें अपनी मानसिक विकास आत्मिक शक्ति का विकास करना चाहिए, सहन शक्ति को बढ़ाना चाहिए।। जिससे पास शक्ति सहन शक्ति है वो जीवन में हार हुई बाजी भी आसानी से जी सकता। ।।ओ३म्।।
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