रविवार, 13 अक्टूबर 2019

शरद् पूर्णिमा का जीवन में महत्त्व

शरद् पूर्णिमा का जीवन में महत्त्व-


आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद् पूर्णिमा कहा जाता है। इस पूर्णिमा से गर्मी का समापन और सर्दी का आगमन होता है। गर्मी और बरसात के कारण उष्ण व दूषित हुई प्रकृति स्वच्छता को प्राप्त होती है। अर्थात् गर्मी से शीतलता की ओर बढ़ना। इस दिन वातावरण की स्वच्छता हेतु बड़े-बडे यज्ञों का आयोजन किया जाता है।

इसे शारदीय पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस रात्रि को खीर बनाकर रात भर चन्द्रमां की शीतल किरणों में रखकर और प्रात: सूर्योदय से पूर्व खाने का विधान है जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है विशेषकर श्वास रोगी के लिए उत्तम है।
इस रात्रि में चन्द्रमा 16 कलाओं से युक्त होता है। आज सूर्य उत्तरायण से दक्षिणायण में प्रवेश करता है। जब सूर्य का उत्तरायण से दक्षिणायण में प्रवेश होता है तो प्रकृति सौम्य, शीतल व सौन्दर्य युक्त हो जाती है। प्रकृति चारों ओर सफेद फूलों से सुशोभित हो जाती है। शरीर शक्तिशाली बन जाता है। कार्य में उत्साह व अन्न में रुचि उत्पन्न होती है। अन्न व औषधियां रसयुक्त हो जाती हैं।
शारदीय पूर्णिमा पर नेत्र परीक्षण हेतु लोग आपस में "सूती-धागा" प्रतियोगिता भी आयोजित करते थे।

 "करें प्रयोग रहें निरोग"

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