॥ओ३म्॥
योग का जीवन में महत्त्व
(Importance of yoga in our day-to-day life)
दुःख- संसार में तीन प्रकार के दु:ख होते हैं-आध्यात्मिक, आधिभौतिक तथा आधिदैविक। इन दु:खों से छूटने का साधन है योग।
इन्हें पढ़ें- वज्रासन का स्वास्थ्य पर प्रभावयोग का मतलब होता है किसी वस्तु या पदार्थ को एक-दूसरे में मिलाना अर्थात् जोड़ना। किसी भी वस्तु की वृद्धि हेतु योग, न्यूनता हेतु अयोग(अलग) करना। योग और वियोग सुख-दु:ख का कारण हमें अपने जीवन को सुखकर बनाने के लिए किन चीजों का योग तथा किन चीजों का अयोग करना है इसका ज्ञान होना चाहिए।

संसार के समस्त सुख-दु:ख का आधार है शरीर का होना। स्वास्थ्य के लिए जगत् प्रसिद्ध लोकोक्ति है-“पहला सुख निरोगी काया” किसी भी सुख को भोगने के लिए शरीर का निरोग रहना अतिआवश्यक है। हमारा शरीर रोग रहित व जीवन सुखमय कैसे रहे इसपर भारत के प्राचीन ऋषि वैज्ञानिकों (चरक, सुश्रुत, वाग्भट, पतंजलि आदि) ने बहुत ही विस्तार पूर्वक तथा सरल उपायों को बताया है जिसे अपनाकर स्वयं ही नहीं बल्कि परिवार व समाज को भी निरोग व उत्तम बनाने में सहयोगी बन सकते हैं।
योग जीवन जीने की कला है खुशियां मनाने का दिवस नहीं। यह कोई कर्मकाण्ड नहीं है, किसी विशेष दिन या अवसर पर मनाया जाये। यह पल-पल, क्षण-क्षण जीने का आधार है। योग सुखद जीवन का सुपथ है जिस पर जो व्यक्ति एक बार अग्रसर हो गया वो कुपथ की ओर कभी नहीं जा सकता।
योगविद्या भारत की प्राचीन विद्या है जिसे भारत के मनीषियों ने अपने पुरुषार्थ से वेद के विज्ञान को समस्त विश्व के कल्याण हेतु समाज को दिया और वो बिना धन व्यय(खर्च) के साधनों तथा विधियों को बताया जिसे कोई भी कहीं भी आसानी से कर सकता है। प्रकृति का नियम चक्रक चलता है। कभी कोई ऊपर जाता है कभी कोई नीचे आता है। रात के बाद दिन और दिन के बाद रात आती है। जन्म के बाद मृत्यु और मृत्यु के बाद जन्म। जन्म से लेकर मृत्यु तक की यात्रा को जीवन कहा जाता है। इस जीवन यात्रा को पूर्ण करने में अनन्त जीवों का योगदान होता है। हम सभी जीवों का योगदान किस तरह से लें कि हमारा जीवन सुख, शान्ति और समृद्धि के साथ पूर्ण हो। इसके लिए महर्षि पतंजलि ने आठ अंग बताये हैं जिसे “अष्टांगयोग” के नाम से जानते हैं।
अष्टांगयोग का वर्गीकरण-
1.यम- यम का अर्थ है आन्तरिक नियन्त्रण। प्रत्येक व्यक्ति दु:ख से छूटना चाहता है और वह आत्मनियन्त्रण के बिना सम्भव नहीं है। आत्मनियन्त्रण हेतु निम्न पांच साधन हैं।
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